31 मार्च को ‘ईद-उल-फितर’ के कारण शेयर, मुद्रा, जिंस और डेरिवेटिव बाजार बंद थे. वित्तवर्ष 2024-25 में रुपये में दो प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई थी. दो अप्रैल, 2024 को यह डॉलर के मुकाबले 83.42 पर था. इस साल मार्च में, रुपये में 2.17 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो नवंबर, 2018 के बाद से अधिकतम है जब रुपये ने पांच प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की थी.
फरवरी में, नए ऑर्डर तथा उत्पादन में धीमी वृद्धि के बीच भारत के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि 14 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई थी.
‘राष्ट्रीय राजमार्ग इंफ्रास्ट्रक्चर’ के विकास के लिए वित्त वर्ष 2024-25 में एनएचएआई द्वारा पूंजीगत व्यय 2,40,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 2,50,000 करोड़ रुपये (अस्थायी) से अधिक के अभी तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है.
रिलायंस और ब्लास्ट भारत में बाजार में अग्रणी बौद्धिक संपदा (आईपी) विकसित करने के लिए साझेदारी करेंगे। प्रशंसकों, खिलाड़ियों और ब्रांडों के लिए भारतीय बाजार में ब्लास्ट की वैश्विक आईपी पेश करेंगे।
ऐसे में मूंगफली की जल्द शुरू होने वाली बुवाई से पहले नेफेड द्वारा इसे बेचने की अफवाह का मूंगफली बिजाई पर अच्छा असर नहीं होगा. मूंगफली का कोई विकल्प नहीं है और इसलिए इस ओर तेल संगठनों को गंभीरता से ध्यान देना होगा. किसान अधिक सस्ते में बिकवाली के लिए मंडियों में कम मूंगफली की आवक ला रहे हैं जबकि इसकी मांग अच्छी है.
चौड़े आकार वाले अधिक विमानों के एयरलाइंस के बेड़े में शामिल होने से अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या में तेज वृद्धि होने की संभावना है, जबकि घरेलू यात्री यातायात स्थिरता के साथ बढ़ना जारी रह सकता है।
रेनो ने बयान में कहा कि रेनो समूह और निसान के बीच एक वैश्विक मसौदा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस समझौते के तहत रेनो समूह संयुक्त उद्यम में निसान के पास मौजूद 51 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगी।
गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2023-24 में बीएसई मिडकैप सूचकांक में 15,013.95 अंक यानी 62.38 प्रतिशत का उछाल आया जबकि स्मॉलकैप 16,068.99 अंक यानी 59.60 प्रतिशत चढ़ा था. वहीं, बीएसई सेंसेक्स ने 14,659.83 अंक यानी 24.85 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की थी.
ओयो के संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रितेश अग्रवाल ने कहा कि चौथी तिमाही के राजस्व में तेज उछाल कंपनी की टिकाऊ, लाभदायक वृद्धि को आगे बढ़ाने की क्षमता को दर्शाता है।
आंकड़ों के मुताबिक, 31 मार्च, 2025 तक 85 कंपनियों ने क्यूआईपी जारी कर पूंजी बाजार में प्रवेश किया है, जबकि पिछले वित्त वर्ष के दौरान केवल 64 कंपनियों ने ही ऐसा किया था। विश्लेषकों ने कहा कि कंपनियों ने बहीखाते को मजबूत करने और फंड विस्तार के लिए तेजी से बढ़ते इक्विटी बाजारों का फायदा उठाया।