आयातित वाहनों और कंपोनेंट पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शुल्क की घोषणा से भारतीय वाहन कलपुर्जों व घटक विनिर्माताओं पर उनके वाहन विनिर्माता समकक्षों की तुलना में अधिक असर पड़ने की आशंका है। उद्योग पर्यवेक्षकों ने बृहस्पतिवार को यह बात कही।
ट्रंप ने आयातित वाहनों पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की बुधवार को घोषणा की जो अप्रैल से लागू होगा। मई तक प्रमुख वाहन कलपुर्जों इंजन व और इंजन के घटक, ट्रांसमिशन व पावरट्रेन घटक, और इलेक्ट्रिकल घटकों के आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क लागू होने की आशंका है।
नाम उजागर न करने की शर्त पर उद्योग जगत के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ अमेरिकी शुल्क से भारतीय मोटर वाहन कलपुर्जा उद्योग को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि यहां से अमेरिका को निर्यात काफी अधिक है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय वाहन विनिर्माताओं पर इसका असर कम पड़ने की संभावना है, क्योंकि भारत से अमेरिका को पूरी तरह से विनिर्मित वाहनों का कोई सीधा निर्यात नहीं होता है।’’
उद्योग के अनुमान के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का अमेरिका को मोटर वाहनों के कलपुर्जों व घटक का निर्यात 6.79 अरब अमरीकी डॉलर था, जबकि अमेरिका से देश का आयात 15 प्रतिशत शुल्क पर 1.4 अरब अमरीकी डॉलर था।
ट्रंप की बुधवार की घोषणा से पहले अमेरिका आयातित घटकों पर लगभग ‘‘शून्य’’ शुल्क लगाता था।
उद्योग जगत के एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘ फिलहाल इंजन कलपुर्जे, पावर ट्रेन तथा ट्रांसमिशन हमारी सबसे बड़ी निर्यात वस्तुएं हैं।’’
जेएटीओ डायनेमिक्स इंडिया के अध्यक्ष एवं निदेशक रवि जी भाटिया ने कहा कि ट्रंप के शुल्क में भारत को निशाना नहीं बनाया गया है, यह शुल्क देश के प्रतिस्पर्धियों पर भी लागू होता है।
उन्होंने कहा, ‘‘ यह कदम निश्चित रूप से प्रभाव डालेगा, लेकिन यह कोई ‘‘सुनामी’’ के समान नहीं है। यह बहुत बड़ा झटका नहीं है और भारतीय आपूर्तिकर्ता अमेरिका में अपनी बाजार हिस्सेदारी बरकरार रखने का मार्ग तलाश लेंगे।’’
भाटिया ने कहा कि जिस तरह की स्थिति बन रही है, उसे देखते हुए किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगा।
उन्होंने विश्वास जताया किया कि भारत का कम लागत वाला विनिर्माण और भी अधिक लाभकारी हो जाएगा, क्योंकि शुल्क में 25 प्रतिशत की वृद्धि से अमेरिका में वाहनों की कीमतें बढ़ेंगी। हालांकि इससे भारतीय वाहन विनिर्माताओं जो इलेक्ट्रिक वाहनों सहित नए उत्पादों के साथ अमेरिकी बाजार सहित वैश्विक स्तर पर विस्तार की राह तलाश रहीं है..वे अपनी योजनाओं पर दोबारा विचार कर सकती हैं।
ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसीएमए) और सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) ने इस घटनाक्रम पर कोई टिप्पणी नहीं की।
उद्योग के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि कुछ अग्रणी मोटर कलपुर्जा व घटक विनिर्माताओं ने उत्तरी अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौते (एनएएफटीए) का लाभ उठाने तथा अमेरिका को कलपुर्जे की आपूर्ति करने के लिए मैक्सिको तथा कनाडा में संयंत्र स्थापित किए हैं।
इनमें मदरसन ग्रुप भी शामिल है, जो शीर्ष इस क्षेत्र में देश की अग्रणी कंपनियों में से एक है। इस समूह से हालांकि इस घटनाक्रम पर तत्काल टिप्पणी प्राप्त नहीं की जा सकी।
हालांकि, संवर्धन मदरसन इंटरनेशनल लिमिटेड के निदेशक लक्ष्य वामन सहगल ने तीसरी तिमाही की आय संबधी जानकारी देते हुए कहा था कि मदरसन के पास वैश्विक स्तर पर स्थानीय रणनीति है, जिसमें उसके ग्राहकों के नजदीक ही विनिर्माण संयंत्र स्थापति करना शामिल है।
Download Money9 App for the latest updates on Personal Finance.