रेटिंग एजेंसी इक्रा ने बुधवार को कहा कि बैंक जमा पर बीमा की सीमा बढ़ाए जाने से ऋणदाताओं के मुनाफे पर ‘मामूली लेकिन उल्लेखनीय’ प्रभाव पड़ने की आशंका है।
फिलहाल किसी व्यक्तिगत ग्राहक की पांच लाख रुपये तक की जमा राशि को जमा बीमा एवं ऋण गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) के तहत कवर किया जाता है। निगम किसी बैंक के डूबने की स्थिति में ग्राहकों के पैसे की सुरक्षा के लिए बैंकों से प्रीमियम एकत्र करता है।
वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम नागराजू ने हाल ही में कहा है कि सरकार जमा बीमा की सीमा को मौजूदा पांच लाख रुपये से आगे बढ़ाने पर ‘सक्रियता से विचार’ कर रही है।
यह टिप्पणी न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में घोटाले के बीच आई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस सहकारी बैंक को नए ऋण जारी करने, जमा निकासी को निलंबित करने और ऋणदाता के बोर्ड को हटाने के लिए कदम उठाए हैं।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक की नाकामी ने जमा बीमा की सीमा बढ़ाने पर विमर्श को बढ़ावा दिया होगा लेकिन इस तरह के कदम से बैंकों के मुनाफे में 12,000 करोड़ रुपये तक की कमी आ सकती है।
इक्रा के वित्तीय क्षेत्र रेटिंग प्रमुख सचिन सचदेवा ने कहा, ‘‘जमा बीमा की सीमा में संभावित वृद्धि होने से बैंकों की लाभप्रदता पर मामूली लेकिन उल्लेखनीय प्रभाव पड़ने की आशंका है।’’
इस सीमा को पिछली बार फरवरी, 2020 में पीएमसी बैंक संकट के बाद एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया गया था।
इक्रा के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 के अंत तक 97.8 प्रतिशत बैंक खाते पूरी तरह से कवर हो चुके थे क्योंकि उन खातों में जमा की गई राशि पांच लाख रुपये की सीमा के भीतर थी।
इसने कहा कि जमा राशि के मूल्य के हिसाब से 31 मार्च, 2024 तक बीमित जमा अनुपात (आईडीआर) 43.1 प्रतिशत था। इस आईडीआर में बदलाव से बैंकों के मुनाफे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है क्योंकि उन्हें प्रीमियम के रूप में अधिक पैसा देना पड़ता है।
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