Budget 2025-26 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मिडिल क्लास के लिए राहतों का पिटारा खोल दिया है. एक तरफ 12 लाख रुपये प्रति वर्ष तक की आय पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा. दूसरी तरफ मकान मालिकों और किरायेदारों को भी बड़ी राहत दी गई है. अब सालाना 2.40 लाख रुपये की जगह 6 लाख रुपये तक के किराये पर टीडीएस की कटौती नहीं की जाएगी.
अब तक प्रति माह 20,000 रुपये या उससे ज्यादा किराया देने वाले किरायेदार को अपने मकान मालिक को भुगतान करने से पहले 5 फीसदी की दर से टीडीएस काटना पड़ता था. इस टैक्स को जमा भी कराना पड़ता था. वहीं, मकान मालिक को आयकर रिटर्न फाइल करने के बाद इसका रिफंड मिलता था. अब नई सीमा के तहत 50,000 रुपये प्रति माह तक किराये पर टीडीएस कटौती और फाइलिंग की सिरदर्दी खत्म हो जाएगी.
बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने टीडीएस में छूट का ऐलान करते हुए कहा, कि वे यह छूट मिडिल क्लास की मुश्किलें कम करने के लिए देने जा रही हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मैं टीडीएस कटौती की दरों और सीमा को कम करके स्रोत पर कर कटौती (TDS) को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव करती हूं. इसके अलावा, बेहतर स्पष्टता और एकरूपता के लिए कर कटौती की सीमा राशि बढ़ाई जाएगी.’’ इसके बाद उन्होंने कहा, वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज पर कर कटौती की सीमा 50,000 से दोगुनी करते हुए 1 लाख की जा रही है. इसी प्रकार, किराये पर टीडीएस के लिए वार्षिक सीमा 2.40 लाख से बढ़ाकर 6 लाख की जाती है. इससे टीडीएस देयता वाले लेन-देनों की संख्या में कमी आएगी और कम भुगतान पाने वाले छोटे करदाता लाभान्वित होंगे.”
इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा उन मकान मालिकों को मिलेगा, जिनकी कुल आय टैक्स के दायरे में नहीं आती है. मौजूदा नियमों के तहत किरायेदार की तरफ से उन्हें 5 फीसदी की दर से टैक्स काटकर किराया दिया जाता है. इस कटौती के लिए उन्हें टीडीएस रिफंड क्लेम करना पड़ता है. इस तरह ऐसे मकान मालिकों का कैश फ्लो घट जाता है. कई बार ऐसे भी मामले आते हैं, जब किरायेदार की तरफ से टीडीएस जमा ही नहीं कराया जाता, जिसका नुकसान भी उन्हें उठाना पड़ता है. वहीं, किरायेदारों को भी इसका फायदा होगा, क्योंकि उन्हें टैक्स फाइलिंग के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी. इसके अलावा सरकार के लिए भी राहत मिलेगी, क्योंकि इससे कंप्लायंस का बोझ कम हो जाएगा.
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