गन्ने के रस से बनने वाले एथेनॉल को लेकर दिसबंर 2023 में भारत सरकार की ओर से लगाई गई रोक अब हटा ली गई है. केंद्र सरकार ने इसकी जानकारी एक सुर्कलर के जरिए गुरुवार को दी. गवर्नमेंट ने 1 नवंबर से शुरू होने वाले नए मार्केटिंग ईयर के लिए चीनी मिलों को इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने के रस या सिरप का उपयोग करने की अनुमति दे दी है. इससे चीनी मिल मालिक पहले की तरह एथेनॉल का प्रोडक्शन कर पाएंगे.
सरकार ने सर्कुलर में कहा कि नए सीजन में डिस्टिलरी यानी प्रोडक्शन हाउस, एथेनॉल उत्पादन के लिए हाई सुक्रोज स्तर वाले बाई प्रोडक्ट बी-हैवी गुड़ का भी उपयोग कर सकती हैं. इस बारे में नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने एक मीडिया रिपोर्ट में कहा कि पिछले साल सरकार ने इस फीडस्टॉक से एथेनॉल उत्पादन को प्रतिबंधित कर दिया था. जिससे मिलों के पास लगभग 750,000 मीट्रिक टन बी-हैवी गुड़ स्टॉक में पड़ा हुआ है. अब प्रतिबंध हटा दिए जाने के बाद, वे इन स्टॉक का उपयोग कर सकते हैं.
सरकार ने एक अलग अधिसूचना में कहा कि दक्षिण एशियाई देश ने एथेनॉल् उत्पादन के लिए डिस्टिलरी को सरकारी भारतीय खाद्य निगम (FCI) से 2.3 मिलियन मीट्रिक टन चावल खरीदने की अनुमति भी दी है. ऐसे में गन्ने के अलावा चावल से भी एथेनॉल बनाने में मदद मिलेगी.
भारत दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है. यहां के कई बड़े चीनी मिल्स पिछले कुछ वर्षों से गन्ने के रस से एथेानॉल बना रहे थे, लेकिन साल दिसंबर 2023 में सरकार ने इस पर रोक लगा दी थी. चीनी उत्पादन को बढ़ाने के लिए एथेनॉल के उत्पादन में इसका प्रयोग प्रतिबंधित किया गया था. सरकार का कहना था कि गन्ने की फसल औसत से कम मानसून की बारिश से प्रभावित हुई है, जिसके चलते ये कदम उठाना पड़ रहा है. बता दें ई.आई.डी.-पैरी, बलरामपुर चीनी मिल्स, श्री रेणुका, बजाज हिंदुस्तान और द्वारिकेश शुगर जैसी भारतीय चीनी मिलों ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी एथेनॉल उत्पादन क्षमता में वृद्धि की है.
सरकार का लक्ष्य 2025-26 तक गैसोलीन में 20 प्रतिशत एथेनॉल का मिश्रण किया जाए, यही वजह है कि सरकार ने एथेनॉल उत्पादन पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है इससे उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा. अभी तक मिश्रण में महज 13 प्रतिशत एथेनॉल का इस्तेमाल होता है. जानकारों का कहना है कि इस मंजूरी से न सिर्फ गैसोलीन में एथेनॉल मिश्रण को बढ़ाने में मदद मिलेगी, बल्कि मिलों और डिस्टिलरी को लाखों किसानों को समय पर गन्ना भुगतान करने में भी मदद मिलेगी.