अब महज 15 दिनों में होगा डेथ क्‍लेम सेटलमेंट, IRDAI ने बीमा कंपनियों को दिए सख्‍त निर्देश

नियामक ने बीमा कंपनियों को महज 15 दिनों के अंदर दावे के निपटान के निर्देश दिए हैं. पहले इसमें लगभग 30 दिन लगते थे.

अब 15 दिनों में होगा बीमा का क्‍लेम सेटलमेंट

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने बीमाधारकों की सहूलियत के मकसद से डेथ क्‍लेम सेटलमेंट की प्रक्रिया को आसान बनाने का फैसला किया है. इसके लिए नियामक ने बीमा कंपनियों को महज 15 दिनों के अंदर दावे के निपटान के निर्देश दिए हैं. पहले इसमें लगभग 30 दिन लगते थे. आईआरडीएआई का कहना है कि जीवन बीमा में जिन मृत्यु दावों में जांच की जरूरत नहीं है उन्‍हें जल्‍द से जल्‍द निपटाया जाना चाहिए, वहीं जिनमें जांच जरूरी है, उन्‍हें 45 दिनों के अंदर निपटाया जाना चाहिए. पहले इसमें करीब 90 दिनों तक का वक्‍त लगता था.

IRDAI ने बीमा कंपनियों के कई अन्‍य सर्विसेज की भी समयसीमा को कम करने के निर्देश दिए हैं. नियामक के मुताबिक बीमा के मैच्‍योरिटी क्‍लेम, सरवाइवल लाभ और वार्षिकी भुगतानों को उनकी तय तारीखों पर निपटाया जाना चाहिए. साथ ही पॉलिसी सरेंडर या आंशिक निकासी को सात दिनों के भीतर निपटाया जाना चाहिए. नियामक ने अपने सर्कुलर में यह भी कहा कि बीमा कंपनियां ग्राहकों को प्रीमियम देय, पॉलिसी भुगतानों, मैच्‍योरिटी आदि की सूचना कम से कम एक महीने पहले भेजें. अगर कंपनियां समयसीमा को पूरा करने में विफल रहती हैं, तो ग्राहक लोकपाल से संपर्क कर सकते हैं.

नए व्यावसायिक प्रस्तावों के लिए क्‍या है नियम?

नए व्यावसायिक प्रस्तावों के लिए बीमा कंपनियों को उन्हें प्रोसेस करना और सात दिनों के भीतर कोई भी अतिरिक्त जानकारी का रिक्‍वेस्‍ट भेजना जरूरी होगा. साथ ही पॉलिसी की एक कॉपी प्रस्ताव फॉर्म के साथ, पॉलिसीधारक को 15 दिनों के अंदर दी जानी चाहिए. वहीं स्वास्थ्य बीमा के मामले में कैशलेस दावों को तीन घंटे के अंदर और नॉन-कैशलेस दावों को 15 दिनों के भीतर निपटाया जाना चाहिए. इसके अलावा यूनिट-लिंक्ड बीमा पॉलिसियों (ULIP) में, स्विच और टॉप-अप रिक्‍वेस्‍ट जैसी सेवाओं को सात दिनों के भीतर पूरा किया जाना चाहिए.

कितने दिनों में होगा शिकायतों का निपटारा?

बीमा से जुड़ी कोई भी समस्‍या होने पर ग्राहक बीमा कंपनी को शिकायत दर्ज करा सकता है. ग्राहक की शिकायतों को बीमाकर्ता को तुरंत स्वीकार करना चाहिए और 14 दिनों के भीतर कार्रवाई शुरू करनी चाहिए. अगर तय अवधि के भीतर समस्या का समाधान नहीं होता है, तो बीमाकर्ता को मूल शिकायत तिथि से 14 दिनों के भीतर शिकायतकर्ता को सूचित करना चाहिए और कारण बताना चाहिए कि समस्‍या का निपटारा क्‍यों नहीं हो सका और इसमें कितना वक्‍त लगेगा.

Published: September 6, 2024, 13:11 IST
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