एक लंबे दौर से हम मुकेश अंबानी और राधाकिशन दमानी के नाम और इनसे जुड़ी कहानियां-किस्से सुनते आ रहे हैं. ये आज भी दिग्गज हैं लेकिन अब वो दौर आया है जब इन्हें टक्कर देने वाले दो युवा सामने आए हैं. जोमैटो और ब्लिंकिट के फाउंडर दीपिंदर गोयल और जेप्टो के फाउंडर आदित पलीचा जो महज 22 साल के हैं. इन दो लड़कों की जोड़ी ने दमानी और अंबानी के बिजनेस को हिला रखा है. दोनों ने क्विक कॉमर्स के जरिए तहलका मचा रखा है, खासकर रिटेल चेन सेक्टर में. ये कहां से आए और अब कहां तक पहुंच गए ये जानेंगे, साथ ही आपको बताएंगे ये दोनों दमानी-अंबानी को कैसे पीछे छोड़ रहे हैं.
दीपिंदर गोयल
पंजाब में जन्में दीपिंदर गोयल मिडिल क्लास परिवार से आते हैं, उनके पिता एक शिक्षक थे. दीपिंदर ने अपनी पढ़ाई IIT दिल्ली से की, जहां उन्होंने मैथमैटिक्स और कंप्यूटिंग में डिग्री हासिल की. 2005 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने बेन एंड कंपनी नामक एक कंसल्टिंग फर्म में काम करना शुरू किया.
फिर आया जोमैटो और ब्लिंकिट
2008 में, बेन एंड कंपनी में काम करते हुए, दीपिंदर ने देखा कि उनके ऑफिस के सहकर्मियों को रेस्त्रां से खाना ऑर्डर करने में दिक्कतें होती थीं. उन्होंने महसूस किया कि एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म होना चाहिए जो रेस्त्रां की पूरी जानकारी और खाना मंगाने की सुविधा दे.
यहीं से फूडीबे (Foodiebay) का आइडिया आया. उन्होंने अपने सहकर्मी पंकज चड्ढा के साथ मिलकर 2008 में इसे लॉन्च किया. 2010 में, फूडीबे का नाम बदलकर जोमैटो रखा गया. जल्द ही, यह कंपनी एक लोकप्रिय ब्रांड बन गई और उसे पहली फंडिंग $1 मिलियन की मिली.
फिर दीपिंदर गोयल ने एक और बड़ी छलांग मारी, उनकी कंपनी ने सिर्फ खाना डिलीवर करने से आगे बढ़कर ब्लिंकिट (पहले ग्रोफर्स) जैसी कंपनियों का अधिग्रहण किया. आज बिल्किंट तेजी से बढ़ रहा है. इस पर आगे आपको डिटेल में बताएंगे कि कैसे ये दमानी-अंबानी को टक्कर दे रहे हैं. लेकिन उससे अंबानी-दमानी की जोड़ी को टक्कर देने वाले दूसरे दिग्गज की बात करते हैं.आदित पलीचा, 19 साल की उम्र में बचपन के दोस्त कैवल्य वोहरा के साथ मिलकर क्विक कॉमर्स में जेप्टो की शुरुआत की. उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई दुबई में पूरी की, जहां वे लगातार नए प्रोजेक्ट्स और बिजनेस आइडियाज पर काम करते रहे.
महामारी के दौरान, जब पूरा देश लॉकडाउन में था, आदित और कैवल्य ने महसूस किया कि किराने का सामान मंगाने में काफी समय लग रहा है. कई बार डिलीवरी में कई दिन लग जाते थे, जिससे एक बड़ा गैप नजर आया. उन्होंने पहले किराना कार्ट (KiranaKart) नाम से एक सर्विस शुरू की, जो 45 मिनट में किराने का सामान पहुंचाने का वादा करती थी. हालांकि, यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से सफल नहीं हुआ और इसमें कुछ खामियां रहीं.
फिर हुई जेप्टो की शुरुआत: उन्होंने जेप्टो की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने किराना कार्ट की कमियों को सुधार कर एक नई सर्विस को लॉन्च किया. जेप्टो का मकसद 10 मिनट में ग्रॉसरी डिलीवर करना था.
आदित और कैवल्य ने अपनी पढ़ाई के लिए स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया था, लेकिन अपने बिजनेस आइडिया को पूरा करने के लिए उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी. जेप्टो ने लोगों की समस्या को हल करते हुए बाजार में अब तेजी से जगह बना ली है.
दमानी-अंबानी को टक्कर दे रहे गोयल-पलीचा की जोड़ी
पहले लोग किराने और बाकी सामान केवल बाजार और आसपास की दुकानों से खरीदते थे, फिर मॉडर्न रिटेल जैसे डीमार्ट और रिलायंस रिटेल फेमस हुए. इसी दौरान बिग बास्केट और अमेजन फ्रेश जैसी शेड्यूल्ड ग्रॉसरी शुरू हुईं जो एक तय समय में सामान डिलीवर करती है. लेकिन फिर क्विक कॉमर्स की एंट्री हुई जो किराने से लेकर कई सारा सामान 10-20 मिनट में पहुंचाने लगा है. फिलहाल यह प्रमुख शहरों में ही है लेकिन यहां मौजूद डीमार्ट जैसे स्टोर्स को बड़ी चुनौती दे रहा है. बता दें कि Datum के मुताबिक, क्विक कॉमर्स का बाजार 2030 तक लगभग 40 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है, ये आज के मुकाबले 46% अधिक है.
ग्रॉसरी मार्केट में बढ़ती क्विक कॉमर्स की हिस्सेदारी: Datum की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2024 में ग्रॉसरी मार्केट में किराना स्टोर की हिस्सेदारी 7% है, मॉडर्न रिटेल स्टोर्स की 12% है, ई-कॉमर्स की 13% और क्विक कॉमर्स 48% है.
Blinkit और Zepto का मौजूदा स्टेटस
ब्लिंकिंट ने जनवरी 2022 में शुरुआत की, जेप्टो ने अप्रैल 2021 में
ब्लिंकिंट 40 शहरों में मौजूद है और जेप्टो 10 से ज्यादा
ब्लिंकिंट के पास 791 डार्क स्टोर है और जेप्टो के पास 350
ब्लिंकिंट को हर रोज 10 लाख ऑर्डर्स मिलते हैं और जेप्टो को 7-7.5 लाख
ब्लिंकिंट से औसतन 660 रुपये का ऑर्डर होता है और जेप्टो से 470 रुपये का
Datum के आंकड़े बताते हैं कि, क्विक कॉमर्स को आए हुए ज्यादा समय नहीं हुआ लेकिन यहां से लोग 500-600 रुपये का सामान खरीद रहे हैं, शेड्यूल्ड ग्रॉसरी जैसे बिग बास्केट, अमेजॉन फ्रेश से 1000-1200 रुपये और मॉडर्न रिटेल जैसे Dmart, आदि से 2000 रुपये से ज्यादा.
किराना बाजार के लिए बड़ी चुनौती
क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसे Blinkit-Zepto ने किराना स्टोर्स के लिए चुनौतियां खड़ी कर रखी हैं:
लगभग 46% क्विक कॉमर्स यूजर्स ने किराना शॉप्स से खरीदारी कम कर दी है.
82% से ज्यादा यूजर्स ने अपनी किराने की खरीदारी का कम से कम 25% हिस्सा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर शिफ्ट कर दिया है. इससे 2024 तक किराना स्टोर्स को 1.28 अरब डॉलर की बिक्री का नुकसान हो सकता है.
क्विक कॉमर्स अब केवल टॉप-अप खरीदारी के लिए नहीं है, बल्कि रेगुलर ग्रॉसरी शॉपिंग का पसंदीदा तरीका बनता जा रहा है.
75% ऑनलाइन खरीदारों ने बताया कि Blinkit जैसे प्लेटफॉर्म्स की सुविधा के कारण बिना प्लानिंग के होने वाली खरीदारी बढ़ गई है.
Dmart की तेजी से घटती सेल्स
डीमार्ट की सेल्स 2022-23 में 24.2 फीसदी से गिरकर 2025 की दूसरी तिमाही में 5.5 फीसदी पर आ गई है.
ग्रॉसरी बाजार में किराना की हिस्सेदारी 4% तक घटी
नीचे दी गई तस्वीर के आंकड़े बताते हैं कि सालाना और तिमाही आधार पर ब्लिंकिट की ग्रोथ तेजी से हो रही है. बाकी रिलायंस रिटेल, Dmart, स्पेंसर रिटेल की हालत खस्ता होती जा रही है. सालाना दर पर ग्रोथ की बात करें तो ब्लिंकिट 2024 की पहली तिमाही में 80% की ग्रोथ दर्जी की और 2025 की दूसरी तिमाही में इसकी ग्रोथ 122% हो गई है.
इसी दौरान रिलायंस रिटेल 38 फीसदी की ग्रोथ से गिरकर 1 फीसदी की ग्रोथ पर आ गया है, डीमार्ट 37 फीसदी की ग्रोथ से गिरकर 14 फीसदी की ग्रोथ पर आ गया है और स्पेंसर रिटेल 12 फीसदी से गिरकर 2025 की पहली तिमाही में 4 फीसदी की ग्रोथ रेट पर आ गया है.
यही नहीं रिलायंस रिटेल को 2024 में मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. कंपनी को 1,185 स्टोर बंद करने पड़े हैं और बढ़ती भीड़ के बावजूद रेवेन्यू में सुस्ती देखने को मिली है. रिटेल के कारोबार को क्विक कॉमर्स कंपनियों की एंट्री पूरे सिस्टम को जटिल बना दिया है, क्योंकि रिटेल मार्केट में प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है.
ऐसे ही क्विक कॉमर्स का बाजार अगर बढ़ता चला जाता है तो ये डीमार्ट और बाकी रिटेल चेन के लिए बड़ी चुनौती होगी.
Published: January 7, 2025, 13:58 IST
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