रियल एस्टेट क्षेत्र की भारतीय रियल एस्टेट डेवलपर्स संघ परिसंघ क्रेडाई (CREDAI) ने आगामी बजट से जुड़े कुछ सुझाव सरकार को दिए हैं. क्रेडाई का कहना है कि बजट 2024-25 में किफायती आवास प्रोजेक्ट्स पर आयकर की दर को 15 फीसदी पर तय कर देनी चाहिए. अगर ऐसा होता है तब सस्ते घरों की डिमांड में सुधार होगा वहीं इसका सबसे बड़ा फायदा आम लोगों को होगा.
क्रेडाई की मांगे
मौजूदा समय में क्रेडाई 13,000 से अधिक डेवलपर को रिप्रेजेंट करती है. आम बजट को लेकर क्रेडाई ने अपने क्षेत्र में आने वाली दूसरी मुश्किलों के समाधान के लिए भी केंद्रीय बजट में कई सुझाव दिए हैं. फेहरिस्त में क्रेडाई की सबसे पहली मांग किफायती आवास की डेफिनेशन में संशोधन करना है.
ऑर्गेनाइजेशन का कहना है कि किफायती घर बनाने के लिए रियल एस्टेट कंपनियों को टैक्स में छूट और होम लोन पर लोगों की ओर से चुकाए जाने वाले प्रिंसिपल अमाउंट और ब्याज दरों में कटौती की सीमा बढ़ाना शामिल है. क्रेडाई ने पिछले कुछ सालों में किफायती आवास सेगमेंट के नए सप्लाई में लगातार आ रही गिरावट पर चिंता भी जाहिर की है. सप्लाई में कटौती से किफायती घरों के ओवरऑल सेल में भी गिरावट आई है.
15 फीसदी की दर किफायती प्रोजेक्ट्स पर हो लागू
रियल एस्टेट की अपेक्स बॉडी का कहना है कि किफायती आवास के डिमांड को बढ़ावा देने के लिए क्रेडाई ने मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए वर्तमान की 15 फीसदी की निम्न आयकर दर को किफायती आवास प्रोजेक्ट्स पर भी लागू करने की वकालत की है. ऑर्गेनाइजेशन का मानना है अगर ऐसा किया जाता है तब डेवलपर्स किफायती आवास विकास पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकते हैं.
रियल एस्टेट राष्ट्र विकास के लिए अहम
क्रेडाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष बोमन ईरानी ने कहा, “GDP, रोजगार सृजन और बुनियादी ढांचे में अपने व्यापक योगदान के साथ, भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र हमेशा राष्ट्र निर्माण के लिए आगे रहा है. वर्तमान में भारत के जीडीपी के लगभग 53 फीसदी को प्रभावित करने वाला और 8 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देने वाला ये सेक्टर 40 करोड़ भारतीय जिनके पास पर्याप्त घर नहीं है की जरूरतों को पूरा करता है.
Published: January 17, 2025, 17:41 IST
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