देश में आयात शुल्क मूल्य में कल रात की गई वृद्धि के बावजूद देश के थोक तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन जैसे आयातित तेल-तिलहनों के दाम गिरावट दर्शाते बंद हुए. कल रात शिकागो एक्सचेंज में भारी गिरावट रहने से भी इस गिरावट को बल मिला और सरसों तेल-तिलहन के दाम में मामूली गिरावट देखी गई. सस्ता होने की वजह से मांग के कारण जहां बिनौला तेल के दाम में सुधार आया वहीं कमजोर कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन पूर्वस्तर पर बने रहे.
सूत्रों ने कहा कि कल रात सरकार ने आयातित खाद्यतेलों के आयात शुल्क मूल्य में वृद्धि की है. इसके तहत सीपीओ में 150 रुपये क्विंटल, पामोलीन में 141 रुपये क्विंटल और सोयाबीन डीगम में 72 रुपये क्विंटल आयात शुल्क मूल्य बढ़ाया गया. लेकिन शिकागो एक्सचेंज में भारी गिरावट के कारण यह वृद्धि बेअसर रही.
बाजार सूत्रों ने कहा कि सबसे सस्ता होने के कारण उत्तरी भारत में नमकीन बनाने वाली कंपनियों के बीच बिनौला तेल की अच्छी मांग है. नमकीन बनाने वाली कंपनियां अपने काम के लिए मुख्यत: पाम-पामोलीन या सूरजमुखी या फिर बिनौला तेल का उपयोग करती हैं. पाम-पामोलीन और सूरजमुखी तेल के दाम ऊंचा होने और इनके मुकाबले बिनौला बेहद सस्ता होने के कारण नमकीन बनाने वाली कंपनियों में बिनौला तेल की मांग बढ़ी है. इस वजह से केवल बिनौला तेल के दाम में सुधार है.
शिकागो एक्सचेंज में कल रात भारी गिरावट के कारण सोयाबीन तेल-तिलहन के दाम भी गिरावट के साथ बंद हुए. आगे सोयाबीन का भाव इस बात पर निर्भर करेगा कि नेफेड की सोयाबीन बिक्री के प्रस्ताव के लिए क्या बोली लगाई जाती है. सूत्रों ने कहा कि देश में सरसों का सबसे अधिक उत्पादन राजस्थान में होता है. वहां के किसानों का कहना है कि जब सरसों तेल के दाम ऊंचे हैं तो वे किसी सूरत में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दाम (5,950 रुपये क्विंटल) से कम दाम पर सरसों नहीं बेचेंगे. शिकागो एक्सचेंज में गिरावट रहने की वजह से सरसों तेल-तिलहन के दाम में मामूली गिरावट देखी गई.उन्होंने कहा कि ऊंचा भाव होने के कारण मांग कमजोर रहने से सीपीओ और पामोलीन तेल के दाम में गिरावट आई. कमजोर कामकाज के बीच मूंगफली तेल-तिलहन अपरिवर्तित रहे.
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