देश में 2024 में अप्रैल से जून तक भीषण गर्मी वाले महीनों में बिजली की मांग इससे पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 10.4 प्रतिशत अधिक रही। इस वृद्धि में एयर कंडीशनर (एसी) के बढ़ते उपयोग का योगदान लगभग एक तिहाई रहा। मंगलवार को जारी एक नयी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
वैश्विक ऊर्जा थिंक टैंक ‘एम्बर्स ग्लोबल इलेक्ट्रिसिटी रिव्यू’ के छठे संस्करण में यह भी कहा गया कि 2024 में वैश्विक बिजली की मांग में वृद्धि के लगभग पांचवें हिस्से के लिए भीषण गर्मी जिम्मेदार रही और इसके कारण ही जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली उत्पादन में 1.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
इससे वैश्विक बिजली क्षेत्र के उत्सर्जन में 1.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे 22.3 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन बढ़ गया और कुल उत्सर्जन 14.6 अरब टन के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया।
रिपोर्ट में कहा गया कि गर्मी संबंधित मांग को छोड़ दिया जाए तो जीवाश्म ईंधन (कोयला) आधारित बिजली उत्पादन में केवल 0.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि स्वच्छ ऊर्जा से 96 प्रतिशत मांग पूरी हुई और यह मांग अधिक तापमान के कारण नहीं बढ़ी थी।
भारत में अप्रैल-सितंबर 2024 के दौरान बिजली की मांग 2023 की इसी अवधि की तुलना में 6.1 प्रतिशत अधिक थी। एम्बर ने अनुमान जताया कि उच्च तापमान का इस वृद्धि में योगदान 19 प्रतिशत था।
अप्रैल से जून तक के भीषण गर्मी वाले महीनों के दौरान, मांग पिछले वर्ष की तुलना में 10.8 प्रतिशत अधिक थी।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘यह वृद्धि मुख्य रूप से आर्थिक विकास के कारण हुई। इस वृद्धि में एयर कंडीशनर के बढ़ते उपयोग का योगदान अनुमानित 30 प्रतिशत था। मई में, साल-दर-साल मांग में वृद्धि के लिए एयर कंडीशनर जैसे उपकरण का योगदान एक तिहाई से अधिक था।’’
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