Budget 2025: किसानों के खातों में ट्रांसफर होगी उर्वरक सब्सिडी! सरकार कर रही है बड़ी तैयारी

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को कहा कि भविष्य में DBT के माध्यम से खाद, बीज और कृषि उपकरणों पर सब्सिडी देने को लेकर विचार किया जा रहा है.

Asset monetisation was also emphasised in the Union Budget of 2021-22.

आम बजट को लेकर किसानो को काफी उम्मीदें हैं. इसी बीच केंद्र सरकार खेती-किसानी को आसान बनाने के लिए पॉलिसी लेवल पर बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है. इस बदलाव के तहत अब खाद, बीज और कृषि मशीनों पर मिलने वाली सब्सिडी राशि को DBT के माध्य से सीधे किसानों के खातों में ट्रांसफर किया जा सकता है. सरकार का मानना है कि अगर खाद सब्सिडी DBT के जरिए दी जाए तो बैंक बैलेंस और बढ़ जाएगा. पीटीआई के मुताबिक, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को कहा कि भविष्य में DBT के माध्यम से खाद, बीज और कृषि उपकरणों पर सब्सिडी देने को लेकर विचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार उर्वरक सब्सिडी पर 2,00,000 करोड़ रुपये तक खर्च करती है. अगर DBT के जरिय सब्सिडी राशि सीधे किसानों के खातों में जारी की जाए, तो किसानों को ज्यादा फायदा होगा.

एक बोरी यूरिया की कीमत

उन्होंने कहा कि सब्सिडी के बाद किसानों को यूरिया की एक बोरी 265 रुपये में मिलती है, लेकिन इसकी कीमत 2,400 रुपये है. लेकिन सब्सिडी कंपनी को जाती है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उर्वरक का उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिए भी किया जाता है. अगर कोई विश्वसनीय प्रणाली है, तो किसानों को सीधे उनके खातों में सब्सिडी दी जा सकती है.

पीएम किसान की लागत 60,000 करोड़

उन्होंने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि की लागत करीब 60,000 करोड़ रुपये है, अगर उर्वरक सब्सिडी डीबीटी के जरिए दी जाए तो बैंक बैलेंस और बढ़ जाएगा. इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि सरकार यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या कृषि से जुड़ी दूसरी सब्सिडी जैसे ड्रिप सिंचाई, पॉलीहाउस या ट्रैक्टर के लिए भी DBT लागू किया जा सकता है. मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार कृषि उपज के परिवहन खर्च को वहन करने पर विचार कर रही है, ताकि किसान अपने उत्पाद देश भर में बेच सकें.

चावल निर्यात पर प्रतिबंध हटाया

कृषि मंत्री कहा कि हम किसानों के लिए कृषि को सरल बनाने का प्रयास कर रहे हैं. सोयाबीन के दाम कम हो गए, इसलिए हमने (सोयाबीन) तेल के आयात पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाया है. हमने बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया है. उन्होंने कहा कि कृषि उपज सस्ती है, लेकिन शहरों तक पहुंचते-पहुंचते यह महंगी हो जाती है. हम इस बात पर विचार कर रहे हैं कि उपभोक्ता के लिए इस अंतर को कैसे कम किया जाए.
Published: January 28, 2025, 17:27 IST
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