मौजूदा वित्तीय वर्ष के पहले 5 महीने यानी अप्रैल से अगस्त तक राजकोषीय घाटा 4.35 लाख करोड़ रुपये रहा है. सीएजी की मासिक रिपोर्ट के मुताबिक यह बजट में तय किए गए वार्षिक अनुमान के 27% के बराबर है. पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में यह 32.3 % कम है. सरकार का लक्ष्य है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.9% से कम रखा जाए. पिछले वर्ष यह करीब 5.6% रहा था. सरकारी आंकड़ों से आज पता चलता है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष के पहले 5 महीनों यानी अप्रैल से अगस्त तक सरकार की कुल आय 12.17 लाख करोड़ रुपये रही, जबकि कुल व्यय 16.52 लाख करोड़ रुपये रहा. इस तरह आय इस वित्तीय वर्ष के बजट लक्ष्य के 38% के बराबर पहुंच चुकी है, जबकि व्यय 34.3% के बराबर है. पिछले वर्ष की समान अवधि में आय 37.9% पर थी, जबकि व्यय 37.1% रहा था. इसके अलावा मौजूदा वित्त वर्ष में कर और गैर-कर राजस्व बजट अनुमान का 33.8% और 61.3% रहा है. जबकि, पिछले वर्ष यह बजट अनुमान के 34.5% और 69.5% के करीब रहा था. इसके अलावा रिजर्व बैंक ने केंद्र सरकार को अधिशेष के रूप में 2.11 लाख करोड़ रुपये देने का ऐलान किया है. यह रकम केंद्रीय बैंक की तरफ से बजट में घोषित की गई राशि से दोगुनी है. 1 अप्रैल से शुरू हुए इस वित्तीय वर्ष के लिए बजट की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य संशोधित कर 4.9% कर दिया था, जो अंतरिम बजट में 5.1% रखा गया था. फिलहाल, बजट में घोषित राजकोषीय लक्ष्यों को लेकर सरकार अपनी योजना पर कायम है. हालांकि, गठबंधन दल मोदी सरकार से ज्यादा धन खर्च करने मांग कर रहे हैं. इसके अलावा मध्यम वर्ग भी राहत के उपायों की मांग कर रहा है.