ग्रेटर नोएडा में पिछले कुछ वर्षों से तेजी से प्रॉपर्टी और फ्लैट बिके हैं. इससे लोगों के घरों का सपना तो पूरा हो गया, लेकिन अभी भी पूरी तरह से घर का मालिकाना हक उन्हें नहीं मिला है. दरअसल उनकी रजिस्ट्री अभी तक नहीं हो पाई है. ऐसे घर खरीदारों की समस्या को दूर करने के लिए ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GNIDA) ने बिल्डरों को सख्त निर्देश जारी किए हैं. GNIDA ने बिल्डरों को 15 दिनों के भीतर रुकी हुई फ्लैट रजिस्ट्री की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है.
इतना ही नहीं ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने यह चेतावनी भी दी है कि नियम का पालन न करने पर परियोजना को रद्द किया जा सकता है. साथ ही आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को मामले के तहत कार्रवाई भी हो सकती है. अथॉरिटी ने यह निर्णय यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर से जारी निर्देशों को ध्यान में रखकर किया है, जिसमें घर खरीदारों को लाभ पहुंचाने के लिए फ्लैट रजिस्ट्री को तेजी से पूरा करने की बात कही गई है. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार ने बिल्डर विभाग को डेवलपर्स के साथ बैठक करने और उन्हें फ्लैट पंजीकरण को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि घर खरीदारों के हितों की रक्षा करने और फ्लैटों का समय पर पंजीकरण सुनिश्चित करने के लिए बिल्डरों के पास 15 दिनों का वक्त है, ऐसा न होने पर उनके आवंटन को रद्द किया जा सकता है.
मामले से जुड़े अधिकारियों के अनुसार अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों पर आधारित सरकारी आदेश का लाभ उठाने के बावजूद, जो बिल्डर अपनी कुल बकाया राशि का 25% जमा करने में विफल रहे हैं उनका भूमि आवंटन रद्द हो सकता है. साथ ही उनके मामलों को जांच के लिए ईओडब्ल्यू को भेजा जाएगा. अथॉरिटी के मुताबिक पिछले साल 21 दिसंबर को राज्य सरकार ने समिति की सिफारिशों के आधार पर एक नीति जारी की थी. इस नीति से लाभान्वित 98 परियोजनाओं में से 13 बिल्डरों ने अपनी कुल बकाया राशि का भुगतान कर दिया है और 58 बिल्डरों ने अपने बकाये का 25% जमा कर दिया है, जो लगभग 505 करोड़ रुपए है. नतीजतन, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने 9,558 फ्लैटों के रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी है. 5 सितंबर तक 6,624 फ्लैटों का पंजीकरण हो चुका था.
बिल्डरों को कुछ राहत देने के लिए अमिताभ कांत समिति गठित की गई थी, जिसमें बिल्डरों को बकाया चुकाने में थोड़ी सहूलियत दी गई थी. हालांकि इसमें कुछ शर्तें थीं जिनका पालन न करने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. बता दें अमिताभ कांत समिति की स्थापना भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र में चुनौतियों, विशेष रूप से रुकी हुई आवास परियोजनाओं और घर खरीदारों और बिल्डरों के बीच अनसुलझे विवादों के समाधान के लिए की गई थी.