टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी कतारों से अब आपको छुटकारा मिलने वाला है. अब आपको हाइवे पर सफर के दौरान टोल प्लाजा पर अब टोल देने के लिए रुकना नहीं पड़ेगा, आपका टोल अपने आप ही सैटेलाइट से कट जाएगा. इसके लिए ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) का इस्तेमाल किया जाएगा. नई व्यवस्था को अमल में लाने के लिए सरकार ने 10 सितंबर 2024 यानी मंगलवार को एक अहम फैसला किया है. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियम, 2008 को संशोधित करने का निर्णय लिया. इसमें सैटेलाइट आधारित प्रणालियों के जरिए इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन को शामिल किया गया.
इस सिलसिले में मंत्रालय की ओर से एक अधिसूचना भी जारी की गई है. इसके अनुसार नए नियम के तहत ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) का उपयोग होगा. इसमें ऑन-बोर्ड यूनिट्स (OBU) और यूनाइटेड स्टेट्स का ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) को शामिल किया गया है. यह FASTag और ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (ANPR) तकनीक जैसी मौजूदा प्रणालियों के अतिरिक्त होगा.
नए बदलाव के तहत GNSS OBU से लैस गाडि़यों का टोल अपने आप यानी ऑटोमैटिक तरीके से कट जाएगा. टोल शुल्क यात्रा की दूरी के आधार पर लिया जाएगा. नए नियम के तहत GNSS उपकरणों वाले वाहनों के लिए टोल प्लाजा पर विशेष लेन बनाने के लिए बदल दिया गया है, जिससे उन्हें मैन्युअल टोल भुगतान के लिए रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी. GNSS प्रणाली का उपयोग करने वाले वाहनों के लिए 20 किमी तक के सफर पर कोई टोल शुल्क नहीं देना होगा.
वर्तमान समय में टोल बूथों पर टोल शुल्क का भुगतान मैन्युअल होता है, जिससे अक्सर जाम लगता है. FASTag के उपयोग के बाद भी समस्या पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है. इसी व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए GPS-आधारित टोल प्रणाली की शुरुआत की जा रही है. इससे यात्रा की गई दूरी के आधार पर सैटेलाइट और इन-कार ट्रैकिंग सिस्टम के जरिए टोल फीस कटेगा.