अमेरिका के पूर्ण निर्मित वाहनों और घटकों पर अप्रैल से 25 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने की घोषणा का भारत के मोटर वाहन उद्योग पर प्रभाव सीमित रहेगा और यह घरेलू निर्यातकों के लिए अवसर भी प्रस्तुत कर सकता है. आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने बृहस्पतिवार को यह बात कही.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्णतः निर्मित वाहनों (सीबीयू) और वाहन घटकों पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की 26 मार्च को घोषणा की, जो तीन अप्रैल से लागू होगा.
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘कैलेंडर वर्ष 2024 में भारत के वाहन तथा वाहन घटकों के निर्यात पर गौर करने से पता चलता है कि भारतीय निर्यातकों पर इन शुल्क का काफी कम प्रभाव होगा.’
शोध संस्थान ने कहा कि यात्री कारों के मामले में भारत ने 2024 में अमेरिका को मामूली 83 लाख अमरीकी डॉलर मूल्य के वाहन निर्यात किए. यह देश के कुल निर्यात 6.98 अरब अमरीकी डॉलर का केवल 0.13 प्रतिशत है.
उन्होंने कहा कि इस नगण्य जोखिम का मतलब है कि शुल्क का भारत के फलते-फूलते कार निर्यात कारोबार पर कोई वास्तविक प्रभाव नहीं पड़ेगा और अन्य श्रेणियों में भी अमेरिकी जोखिम या तो कम है या इससे निपटा जा सकता है.
अमेरिका को ट्रक निर्यात केवल 1.25 करोड़ अमेरिकी डॉलर रहा, जो भारत के वैश्विक ट्रक निर्यात का 0.89 प्रतिशत है. ये आंकड़े सीमित जोखिम की पुष्टि करते हैं.
हालांकि, जीटीआरआई ने कहा गया कि इंजन लगे कार ‘चेसिस’ पर कुछ असर पड़ने की आशंका है. इसमें भारत के 24.69 करोड़ अमेरिकी डॉलर के वैश्विक निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 2.82 करोड़ डॉलर (11.4 प्रतिशत) थी.
श्रीवास्तव ने कहा, ‘जिस क्षेत्र पर सबसे अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, वह है वाहन कलपुर्जे व घटक … भारत ने 2024 में अमेरिका को 2.2 अरब अमरीकी डॉलर मूल्य के वाहन घटक निर्यात किए, जो उसके वैश्विक निर्यात का 29.1 प्रतिशत है. हालांकि यह पहली नजर में चिंताजनक लगता है, लेकिन करीब से देखने पर यह पता चलता है कि दोनों देशों के बीच समान अवसर हैं.’
अमेरिका ने पिछले वर्ष वैश्विक स्तर पर 89 अरब डॉलर मूल्य के वाहन घटकों का आयात किया, जिसमें मैक्सिको की हिस्सेदारी 36 अरब डॉलर, चीन की 10.1 अरब डॉलर तथा भारत की मात्र 2.2 अरब डॉलर थी.
चूंकि 25 प्रतिशत शुल्क सभी पर लागू होता है, इसलिए सभी निर्यातक देशों को एक ही तरह की बाधा का सामना करना पड़ता है.
इस संदर्भ में उन्होंने कहा, भारत के वाहन कलपुर्जा व घटक उद्योग को भी एक अवसर मिल सकता है.
उन्होंने कहा, ‘श्रम-प्रधान विनिर्माण में अपने प्रतिस्पर्धात्मक लाभ और भारत की प्रतिस्पर्धी आयात शुल्क संरचनाओं (शून्य से 7.5 प्रतिशत तक) के साथ, भारत समय के साथ अमेरिका में अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ा सकता है.’
श्रीवास्तव ने कहा कि भारत सरकार को जवाबी कार्रवाई करने के बजाय, शुल्क कदम को दीर्घकालिक दृष्टि से एक तटस्थ या मामूली ही सही पर लाभप्रद घटना के रूप में देखना चाहिए.
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