हिंडनबर्ग अपनी रिपोर्ट को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहता है. शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने घोषणा की है कि उसने सर्वर निर्माता सुपर माइक्रो कंप्यूटर में शॉर्ट पोजीशन ली है. यह कदम अकाउंटिंग में हेराफेरी के आरोपों पर आधारित है. इसके कारण 27 अगस्त को प्री-मार्केट ट्रेडिंग में कंपनी के नैस्डैक-लिस्टेड शेयरों में 8 प्रतिशत की गिरावट आई.
तीन महीने की जांच के बाद आई इस रिपोर्ट में सुपर माइक्रो पर अकाउंटिंग रेड फ्लैग्स, अघोषित लेनदेन के साक्ष्य, प्रतिबंधित एक्सपोर्ट कंट्रोल फेलियर और ग्राहक संबंधी मुद्दों का आरोप लगाया गया है. दिग्गज चिप निर्माता एनवीडिया के साथ घनिष्ठ संबंधों ने सुपर माइक्रो को एआई चिप्स के साथ जल्दी रोल आउट करने में मददगार बनाया, जिससे यह जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बूम के सबसे बड़े विजेताओं में से एक बन गया.
इस साल कंपनी के शेयर लगभग दोगुने हो गए, वहीं 2022 से तुलना करें तो इसकी वृद्धि तीन गुना हो गई है. यहां तक कि इसने एनवीडिया से भी बेहतर प्रदर्शन किया है. सुपर माइक्रो को 2018 में नैस्डैक से अस्थायी रूप से हटा दिया गया था क्योंकि उसने आवश्यक वित्तीय स्टेटमेंट दाखिल नहीं किया था. इसके बाद, SEC ने कंपनी पर 200 मिलियन डॉलर से ज्यादा का राजस्व कम करके दिखाने का आरोप लगाया.
हिंडनबर्ग ने उल्लेख किया है कि SEC के साथ 17.5 मिलियन डॉलर में हुए समझौते के तीन महीने के अंदर, सुपर माइक्रो ने पिछले घोटाले में शामिल अधिकारियों को फिर से काम पर रखना शुरू कर दिया. हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि सुपर माइक्रो ने SEC सेटलमेंट के तुरंत बाद गलत राजस्व, अधूरी सेल को मान्यता देने और आंतरिक अकाउंटिंग को दरकिनार करना फिर से शुरू कर दिया.
इस माइक्रो कंप्यूटर कंपनी की स्थापना 1993 में सैन जोस, कैलिफोर्निया में हुई थी. यह हाई-परफॉर्मेंस सर्वर और स्टोरेज समाधान के लिए जानी जाती है. कंपनी 2007 में लिस्ट हुई थी और पिछले साल के लिए 3.5 बिलियन डॉलर का राजस्व दर्ज किया था. 2023 में इसकी नेट सेल का 92 प्रतिशत हिस्सा सर्वर और स्टोरेज सिस्टम से था.
कंपनी के नए इन्वेस्टमेंट प्रेजेंटेशन से मालूम चलता है कि इसके राजस्व में 61 प्रतिशत अमेरिका, 24 प्रतिशत एशिया और 10 प्रतिशत यूरोप का हिस्सा है. इस रिपोर्ट में कई गड़बड़ियों का आरोप लगाया गया है. हिंडनबर्ग शॉर्ट सेलर हमलों में सबसे आगे रहा है. पिछले कुछ सालों में इसने कई कंपनियों को हिला कर रख दिया है. भारत में भी इसकी रिपोर्ट से अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी.