आने वाले समय में भारत के विकास की रफ्तार कैसी रहेगी इसे लेकर मूडीज रेटिंग्स ने अपना पूर्वानुमान जारी किया है. साल 2024-25 के लिए जारी किए गए पूर्वानुमान में मूडीज ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि का अनुमान 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है. रेटिंग एजेंसी के मुताबिक मजबूत रिकवरी और ग्रामीण मांग में सुधार को देखते हुए भारत तेजी से विकास की ओर बढ़ेगा. इससे देश की इकोनॉमी बेहतर होगी. हालांकि फिच ने देश की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को स्थिर रखा है.
मूडीज रेटिंग्स ने कहा कि व्यापक आर्थिक दृष्टिकोण से,भारतीय अर्थव्यवस्था एक अच्छी स्थिति में है, जिसमें ठोस विकास और महंगाई दर के घटने का अनुमान है. मानसून के मौसम में सामान्य से अधिक बारिश के साथ कृषि उत्पादन की संभावनाओं में सुधार आएगा जिससे ग्रामीण मांग में इजाफा होने की संभावना है. इसके अलावा बढ़ती क्षमता उपयोग, उत्साहित कारोबारी भावना और सरकार की ओर से बुनियादी ढांचे पर खर्च पर निरंतर जोर दिए जाने से पूंजीगत व्यय चक्र में तेजी जारी रहेगी. हालांकि एजेंसी ने यह भी कहा कि पिछले दशक में मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में ज्यादा तेजी नहीं दिखी, लेकिन घरेलू ऑपरेटिंग महौल के सकारात्मक होने और व्यापक वैश्विक रुझान भारत के मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के लिए भविष्य में बेहतर संभावनाओं को देखते हैं.
मूडीज के मुताबिक मिड और लॉन्ग टर्म में भारत के विकास की संभावनाएं इस बात पर निर्भर करती हैं कि देश अपने पर्याप्त श्रम वर्ग का कितनी अच्छी तरह से उपयोग कर सकता है. दरअसल भारत की आबादी की औसत आयु 28 वर्ष है और इसमें से लगभग दो-तिहाई कामकाजी उम्र के हैं.
फिच ने भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग बरकरार रखी है. रेटिंग एजेंसी ने मध्यम अवधि के विकास और मजबूत वित्त स्थिति को देखते हुए भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग (बीबीबी) की भी पुष्टि की है. अपनी रिपोर्ट में फिच ने चुनाव परिणाम का भी जिक्र किया, एजेंसी के मुताबिक नई सरकार के गठन के बाद भी भारत व्यापक निरंतरता का संकेत तो देता है, लेकिन गठबंधन की राजनीति सरकार की सुधार व्यवस्था को लागू करने की क्षमता को बाधित कर सकती है. एजेंसी का कहना है कि देश के बुनियादी ढांचे के विकास, डिजिटलीकरण और व्यापार करने में आसानी के उपायों के इर्द-गिर्द नीतिगत निरंतरता विकास को समर्थन देती है, लेकिन गठबंधन विकास को सीमित कर सकता है.
विकास के मोर्चे पर फिच ने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से विकास करने वाले सॉवरेन देशों में से एक बना रहेगा, जिसकी जीडीपी चालू वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत और वित्त वर्ष 26 में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. सार्वजनिक बुनियादी ढांचा पूंजीगत व्यय विकास का एक प्रमुख हिस्सा बना हुआ है और इसने खर्च की गुणवत्ता में सुधार किया है, जिससे राजकोषीय कंसॉलिडेशन से होने वाले दबाव को कम करने में मदद मिली है. इसके अलावा रियल एस्टेट में निजी निवेश मजबूत रहने की संभावना है और मैन्युफैक्चरिंग इवेंस्टमेंट में तेजी के संकेत हैं.
Download Money9 App for the latest updates on Personal Finance.