नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी NGT ने कड़े निर्देश जारी किए हैं कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में जिन बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स के पास आवश्यक मंजूरी नहीं है, जैसे CTE, CTO, और EC की तो उन्हें कंस्ट्रक्शन जारी रखने की अनुमति नहीं दी जाएगी. यह आदेश 9 दिसंबर को एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिया है. क्या है पूरा मामला चलिए समझते हैं.
NGT में दाखिल एक याचिका में आरोप लगाया गया था कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बड़े पैमाने पर अवैध और अनधिकृत निर्माण हो रहा है. इसमें मकान, दुकानें और अन्य कमर्शियल और रेसिडेंशियल कॉम्प्लेक्स शामिल हैं, जो पर्यावरण से जुड़े नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं. ये कंस्ट्रक्शन के लिए आवश्यक मंजूरी के बिना काम कर रहे हैं, बोरवेल्स अनऑथोराइज रूप से खोदे जा रहे हैं, मिट्टी का अवैध खनन कर रहे हैं.
जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की बेंच ने कहा कि, “चूंकि यह प्रस्तुत किया गया है कि पर्यावरण से जुड़े मानकों का पालन किए बिना बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण जारी है, इसलिए हम निर्देश देते हैं कि अगली सुनवाई तक संबंधित राज्य और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यह सुनिश्चित करें कि जिन परियोजनाओं को मंजूरी (EC/CTE/CTO) की आवश्यकता है, लेकिन ये मंजूरी प्राप्त नहीं हुई है, उन्हें तब तक निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी.”
इसी के साथ उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) को बाढ़ क्षेत्र में अवैध प्लॉटिंग रोकने का भी निर्देश दिया गया है.
याचिकाकर्ता के वकील आकाश वशिष्ठ ने बताया कि, “हमने यह दिखाने के लिए डिटेल कंटेंट प्रस्तुत किया है कि हर दिन बड़े पैमाने पर निर्माण हो रहा है. तस्वीरें बताती हैं कि अवैध कॉलोनियों में बिजली के खंभे लगाए जा रहे हैं और बिना अनिवार्य NOC के बोरवेल्स खोदे जा रहे हैं.”
ये याचिका में बीजेपी नेता और पूर्व म्युनिसिपल कॉर्पोरेटर राजेंद्र त्यागी ने 56 गांवों (ग्रेटर नोएडा) और 18 गांवों (नोएडा) में अवैध कॉलोनियों का जिक्र किया है. इसमें उन्होंने दावा किया कि, 20,000 हेक्टेयर उपजाऊ कृषि भूमि को कब्जा कर लिया गया है, 20,000 हेक्टेयर भूमि का इस्तेमाल अवैध प्लॉटिंग के लिए किया जा रहा है.