हर साल एक ऐसा समय आता है जब प्याज की कीमतें आसमान छूती हैं और लोगों को रुला देती है, इस साल ऐसे मौके कई बार आए. प्याज एक बार फिर 60 से 80 रुपये किलो का बिक रहा है. सोचिए एक तरफ त्योहारी सीजन दूसरी तरफ ये महंगाई. फिर ये महंगाई केवल प्याज की ही नहीं है टमाटर, तेल और बाकी सब्जियों की भी है.
माना जा रहा है कि पूरी दिवाली लोगों को महंगे प्याज के साथ ही निकालनी होगी. इन बढ़ती कीमतों का कारण भारी बारिश है जिसने फसलों को तबाह किया और प्याज की सप्लाई में बाधा डाली है. प्याज खासकर महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में उगाया जाता है और भारी बारिश का असर भी इन्हीं राज्यों में देखने को मिला.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार सितंबर की रिकॉर्ड महंगाई में सबसे बड़ा योगदान प्याज, टमाटर और खाने के तेल का था जो अक्टूबर की महंगाई में भी अपना योगदान दे सकता है.
नासिक के लासलगांव में प्याज के थोक बाजार में, प्याज की कीमतें 45-50 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच उतरती-चढ़ती रही, ऐसा एक महीने से ज्यादा समय से हो रहा है. सरकार को लग रहा था कि दक्षिण भारत में खरीफ फसल की कटाई के साथ कीमतों में गिरावट आएगी लेकिन भारी बारिश ने सरकार की अपेक्षाओं पर पानी फेर दिया, खेतों में पानी भर गया है और फसल में 10 से 15 दिनों की देरी हो रही है, जिससे सही समय पर स्पलाई नहीं हो पा रहा.
प्याज की कीमतों से लड़ने के लिए सराकर ने अपने बफर स्टॉक से प्याज की बिक्री शुरू कर दी है. इसके अलावा सरकार ने प्याज को नासिक से दिल्ली पहुंचाने के लिए ‘कांदा (प्याज) ट्रेन’ शुरू की है, जिससे प्याज की सप्लाई बढ़ सके और उसे ट्रांसपोर्ट करने की लागत घट सके.
भारी बारिश के कारण प्याज की क्वालिटी पर भी काफी असर पड़ा है. रिपोर्ट में हैदराबाद के व्यापारी और श्री स्वामी अयप्पा ट्रेडर्स के मालिक टोंकिनी प्रमोद कुमार के हवाले से कहा गया है कि कुरनूल और तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कई इलाकों में भारी बारिश के कारण प्याज की क्वालिटी काफी खराब हो गई है.
खाने के तेल की कीमतें दो महीने तक स्थिर रही लेकिन फिर सितंबर में पहली बार इसमें भी तेजी देखी गई और आगे भी ये तेजी बनी रहने की आशंका है. इसकी वजह आयात शुल्क (इंपोर्ट ड्यूटी) में बढ़ोतरी है जिसे सरकार ने बढ़ाया है, वहीं पहले से ही वैश्विक बाजारों में खाने का तेल महंगा है.
भारत अपनी जरूरत का 60% खाने का तेल इंपोर्ट करता है इसमें सबसे ज्यादा पाम तेल इंपोर्ट होता है. मलेशिया पाम ऑयल बोर्ड ने संकेत दिया है कि अक्टूबर में पाम ऑयल की कीमतें 4,000 रिंगिट प्रति टन से ज्यादा बनी रहेंगी, क्योंकि मलेशिया के पाम ऑयल स्टॉक में काफी गिरावट आई है और अनिश्चितता बनी हुई है, जिससे कीमतें ज्यादा हैं.
नोट: रिंगिट मलेशिया की करेंसी है.
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