शेयर मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने रिटेल निवेशकों के लिए एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग (Algo Trading) को मंजूरी दे दी है. अब तक यह सुविधा केवल संस्थागत निवेशकों तक सीमित थी लेकिन 1 अगस्त 2025 से रिटेल ट्रेडर्स भी एल्गो ट्रेडिंग का लाभ उठा सकेंगे. एल्गो ट्रेडिंग एक ऐसा सिस्टम है जो खुद से ही संचालित होता है. इसमें ट्रेडर्स तेजी से ऑर्डर निकाल सकते हैं और साथ ही यह लिक्विडिटी बढ़ाने में मदद करती है. सेबी ने इसके लिए एक नियामक ढांचा भी पेश किया है, जो निवेशकों, ब्रोकर्स, एल्गो प्रोवाइडर्स और बाजार MIIs की जिम्मेदारियों को स्पष्ट करता है.
एल्गो ट्रेडिंग के जरिये खुदरा निवेशक अब तेजी से ऑर्डर एग्जीक्यूट कर सकेंगे, जिससे उनके निवेश पर ज्यादा कंट्रोल रहेगा. यह सिस्टम बाजार की अस्थिरता में भी स्थिरता बनाए रखने में मदद करेगी. हालांकि, रिटेल ट्रेडर्स को केवल उन्हीं ब्रोकरों से एल्गो ट्रेडिंग की सुविधा मिलेगी जिन्हें स्टॉक एक्सचेंज से इसकी अनुमति मिली होगी.
सेबी के नए नियमों के तहत, एल्गो ट्रेडिंग से संबंधित सभी शिकायतों के समाधान की जिम्मेदारी पूरी तरह से ब्रोकरों की होगी. इसके अलावा, ब्रोकर यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई अवैध गतिविधि न हो और सभी एल्गो ट्रेडिंग ऑर्डर एक विशिष्ट पहचानकर्ता (Unique Identifier) के साथ टैग किए जाएं, ताकि ऑडिट ट्रेल स्थापित किया जा सके.
स्टॉक एक्सचेंजों को यह सुनिश्चित करना होगा कि ब्रोकर एल्गो और गैर-एल्गो ऑर्डर के बीच स्पष्ट अंतर कर सकें. वे एल्गो ट्रेडिंग की निगरानी करेंगे और सभी एल्गो ऑर्डर पर लगातार नजर बनाए रखेंगे. इसके अलावा, सेबी ने यह भी कहा कि अगर किसी विशेष एल्गो आईडी से गलत गतिविधियां होती हैं तो एक्सचेंज के पास इसे तुरंत रोकने के लिए ‘किल स्विच’ का इस्तेमाल करने का अधिकार होगा.