चीनी के उत्पादन में भारी गिरावट आई है. चालू सीजन में 15 सितंबर तक उत्पादन 17 प्रतिशत गिरकर 61.39 लाख टन रह गया. जबकि पिछले साल समान अवधि में यह आंकड़ा 74.05 लाख टन था. भारतीय चीनी एवं जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (इस्मा) के अनुसार, इस बार महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में गन्ने की पेराई देरी से शुरू हुई है. इसका असर उत्पादन पर पड़ा है. खास बात यह है कि उत्पादन के आंकड़ों में चीनी का इथेनॉल निर्माण के लिए चीनी उपयोग की मात्रा शामिल नहीं है.
सहकारी चीनी कारखानों के राष्ट्रीय महासंघ (एनएफसीएसएफ) के अनुसार, सोमवार को चीनी उत्पादन को लेकर अपडेट जारी किया गया. अपडेट में कहा गया है कि 15 दिसंबर तक चीनी का उत्पादन 60.85 लाख टन था, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 74.20 लाख टन था. इस्मा ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि इस साल, कर्नाटक में चीनी मिलें 7 से 12 दिन देरी से शुरू हुईं, जबकि महाराष्ट्र में मिलें पिछले सीजन की तुलना में 15 से 20 दिन देरी से शुरू हुईं.
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि ओवरऑल उत्पादन में गिरावट आने के बाद भी उत्तर प्रदेश में बढ़ोतरी हुई है. इस्मा के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन 22.11 लाख टन से बढ़कर 23.04 लाख हो गया है. लेकिन, महाराष्ट्र में उत्पादन 24.45 लाख टन से घटकर 16.78 लाख टन और कर्नाटक में 17.56 लाख टन से घटकर 13.85 लाख टन रह गया. ऐसे इस साल अक्तूबर महीने में चीनी मिलों ने गन्ने की पेराई शुरू की.
खास बात यह है कि अब तक औसत चीनी रिकवरी 8.46 प्रतिशत रही है, जबकि एक साल पहले यह 8.72 प्रतिशत थी. पिछले साल की तुलना में इस साल करीब 131 लाख टन कम गन्ने की पेराई हुई है, क्योंकि 29 मिलों में पेराई शुरू नहीं हो पाई है. ऐसे में इस साल चीनी उत्पादन में कमी आने की संभावना है. इस्मा ने कहा कि इस साल इथेनॉल की ओर चीनी का डायवर्जन पिछले साल के लगभग 21.5 लाख टन के मुकाबले लगभग 40 लाख टन होने का अनुमान है.