चालू वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत के संशोधित सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि अनुमान को प्राप्त करने के लिए जनवरी-मार्च तिमाही में सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर की जरूरत है। विशेषज्ञों ने यह राय दी है।
चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर घटकर 6.2 प्रतिशत रह गई, जिसका मुख्य कृषि को छोड़कर विनिर्माण समेत अन्य सभी क्षेत्रों का खराब प्रदर्शन है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा चालू वित्त वर्ष के लिए जारी दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, 2024-25 के दौरान वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो पहले अग्रिम अनुमान 6.4 प्रतिशत से अधिक है।
उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए वार्षिक वृद्धि दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत करना, विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाता है।
एसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज गति से बढ़ने का दर्जा बनाए हुए है, लेकिन देश शुल्क युद्ध और सीमा पार आपूर्ति शृंखला पर इसके प्रभाव जैसी नई वैश्विक चुनौतियों से अछूता नहीं है।
उन्होंने कहा, “आगे का रास्ता केंद्र और राज्यों, दोनों में सुधारों की अगली पीढ़ी होना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हम सात प्रतिशत और उससे अधिक की वृद्धि दर पर वापस लौट सकें। हालांकि, हमें उभरती हुई नई विश्व आर्थिक व्यवस्था को संचालित करने के लिए उपाय भी करने होंगे।”
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के वरिष्ठ आर्थिक विश्लेषक पारस जसराय ने कहा कि तीसरी तिमाही में अपेक्षा से कम वृद्धि हुई है। इसके साथ चालू वित्त वर्ष में अनुमानित 6.5 प्रतिशत की वृद्धि हासिल करने के लिए चौथी तिमाही में वृद्धि दर सालाना आधार पर 7.6 प्रतिशत होनी चाहिए।
जसराय ने कहा, “वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही, विशेष रूप से वर्तमान समय में सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हासिल करना चुनौतीपूर्ण लग रहा है, जो नए भू-राजनीतिक जोखिमों से प्रभावित है।
उन्होंने कहा, “सकारात्मक खबर यह है कि मुद्रास्फीति में नरमी आई है, जिसके वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में घटकर 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इससे वास्तविक मजदूरी में वृद्धि होगी और इस प्रकार उपभोग मांग में वृद्धि होगी।”
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि भारत की जीडीपी वृद्धि दर में तिमाही आधार पर सुधार के बावजूद चालू वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में 6.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि दूसरी तिमाही में वृद्धि दर के संशोधित अनुमान 5.6 प्रतिशत थे, लेकिन यह वृद्धि दर इक्रा के 6.4 प्रतिशत के पूर्वानुमान से पीछे है।
उन्होंने कहा कि तिमाही आधार पर वृद्धि निजी और सरकारी खपत में वृद्धि तथा शुद्ध निर्यात के कारण आई कमी के कारण हुई है। हालांकि, इन तिमाहियों के बीच सकल स्थायी पूंजी निर्माण में मामूली कमी आई है।
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