यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता की तरफ देश, क्रिसिल का दावा – घट जाएगा आयात
क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक आनंद कुलकर्णी के मुताबिक यूरिया उत्पादन में नई निवेश नीति ने संरचनात्मक रूप से आयात निर्भरता को कम करने में अहम भूमिका निभाई है.
यूरिया उत्पादन के लिहाज से देश तेजी से आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रहा है. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल देश अपनी जरूरत का करीब 30 फीसदी यूरिया आयात करता है, जो जल्द ही 10 फीसदी तक रह जाएगा. रेटिंग एजेंसी का मानना है कि यूरिया उत्पादन में आया यह सकारात्मक बदलाव असल में यह नई फैक्टरियों में उत्पादन शुरू होने और पुरानी फैक्टरियों के उत्पादन में स्थिरता आने की वजह से हुआ है. इसके साथ ही रेटिंग एजेंसी का कहना है कि किसानों की तरफ से जैविक खाद व नैनो यूरिया अपनाने में आ रही तेजी के चलते आने वाले समय में यूरिया की मांग में भी कमी आ सकती है, जिससे भारत यूरिया के क्षेत्र में जल्द ही आत्मनिर्भरता बन सकता है.
क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट के मुताबिक वित्तवर्ष 2020-21 में देश ने अपनी जरूरत का करीब 30 फीसदी यूरिया आयात किया. हालांकि, अब यह आयात घटकर 10-15 फीसदी के बीच रहने की उम्मीद है. एजेंसी का मानना है कि ये बदलाव यूरिया उद्योग में हुए सुधारों को दर्शाता है. नए संयंत्रों की शुरुआत और पुराने संयंत्रों को कच्चे माल की स्थिर उपलब्धता की वजह से उत्पादन में सुधार हुआ है. इसके अलावा कच्चे माल की कीमतों और सरकार की असरदार नीतियों का लाभ भी मिल रहा है. क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्याप्त सब्सिडी आवंटन यूरिया उद्योग से जुड़ी कंपनियों के क्रेडिट प्रोफाइल को मजबूत और स्थिर बनाने में मदद कर रहा है.
क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक आनंद कुलकर्णी के मुताबिक यूरिया उत्पादन में नई निवेश नीति ने संरचनात्मक रूप से आयात निर्भरता को कम करने में अहम भूमिका निभाई है. यह नीति 2012 में तब बनाई गई थी, जब 2007 से 2012 के बीच यूरिया की मांग में वृद्धि उत्पादन से आगे निकल गई थी, जिसकी वजह से खपत का 20-25 फीसदी हिस्सा आयात होने लगा. आनंद कुलकर्णी कहते हैं कि देश की तमाम यूरिया फैक्टरियों में उत्पादन स्थिर होने के साथ ही नए संयंत्रों के चालू वित्त वर्ष में 100 फीसदी क्षमता पर संचालित होने की उम्मीद है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में ये 85-90 फीसदी क्षमता पर चले थे. इसके अलावा अगले वित्त वर्ष तक एक और संयंत्र के चालू होने की संभावना है, जिससे यूरिया के घरेलू उत्पादन को और बढ़ावा मिलेगा।
260 करोड़ डॉलर सालाना की बचत
भारत सरकार का उर्वरक विभाग उत्पादन और मांग के बीच के अंतर को पाटने के लिए सरकारी खाते पर यूरिया आयात करता है. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि 2023-24 में भारत ने 70.42 लाख टन यूरिया का आयात किया, जिसकी लागत 260 करोड़ डॉलर यानी करीब 21,500 करोड़ रुपये है. अगर देश का यूरिया आयात शून्य हो जाए, तो विदेशी मुद्रा भंडार के लिहाज से 260 करोड़ डॉलर सालाना की बचत होगी.
Published: August 27, 2024, 12:14 IST
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