आज यानी 23 अगस्त का दिन भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. आज ही के दिन भारत ने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए 2023 में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखा था. चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला भारत दुनिया का चौथा और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बना था.
भारत इस ऐतिहासिक मिशन की पहली सालगिरह को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मना रहा है. ऐसे में सभी भारतीय उस क्षण को याद कर बहुत रोमांचित होते हैं जब चंद्रमा की सतह पर पहुंचे थे.
यह मिशन इतना आसान नहीं था, लेकिन हमारे वैज्ञानिकों ने कर दिखाया. विक्रम लैंडर का अंतिम चरण भारतीय समयानुसार शाम 5:47 पर शुरू हुआ था. ये 15 मिनट इतने महत्वपूर्ण थे कि इसे ‘आतंक के 15 मिनट’ के रूप में याद किया जाता है.
हालांकि इस दौरान लैंडर ने सुरक्षित लैंडिंग के लिए कई कठिनाइयों का सामना किया. चंद्रमा लैंडिंग की प्रक्रिया सतह से लगभग 30 किलोमीटर ऊपर स्थित लैंडर से शुरू हुई. इस दौरान लैंडर चंद्रमा की सतह की ओर 1.68 किमी/सेकंड की गति से बढ़ रहा था।
पहले चरण में तेजी से गति कम की गई, जिससे लैंडर की गति लगभग 400 मीटर/सेकंड रह गई.इसके बाद सबसे महत्वपूर्ण इसकी दिशा में परिवर्तन किया गया, जिससे लैंडर को लंबवत लैंडिंग कराई जा सके.
आखिरकार, शाम 6:20 बजे इसरो के ऑफिस में खुशी की लहर दौड़ी जब विक्रम लैंडर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग की. भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन गया और खुल गई चंद्रमा की खोज और अनुसंधान के लिए नई संभावनाएं. यह उपलब्धि न केवल भारत की तकनीकी क्षमता को दर्शाती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का नया दरवाजा खोलती है जिससे दुनिया अब तक अनभिज्ञ थी.